Ek chatra ke liye kya mehatwapurna hai. Ek acha chatra ya acha insan

'विद्यार्थी' शब्द का जन्म विद्या से हुआ है। विद्या हर मनुष्य के लिए ऐसी अमूल्य धरोहर है, जो जीवन मार्ग में चलते हुए हर कदम में उसका साथ देती है। युधिष्ठिर के अनुसार विदेश जाने वाले का साथी विद्या ही होती है। विद्याधन किसी के द्वारा न चुराया जा सकता है और न बर्बाद किया जा सकता है। विद्या प्राप्त करने वाला 'विद्यार्थी' कहलाता है। परन्तु आदर्श विद्यार्थी वही कहलाता है, जिसका उद्देश्य शिक्षा ग्रहण करना व अत्यधिक ज्ञान प्राप्त करना होता है।

अब यह ज्ञान वह किसलिए प्राप्त करता है एक आदर्श विद्यार्थी के लिए नहीं। यह ज्ञान वह एक आदर्श विद्यार्थी के लिए नहीं बल्कि एक अच्छा मनुष्य बनने के लिए करता है। इसका मुख्य उद्देश्य वही है। एक विद्यार्थी को अच्छा इनसान बनाने के। विद्यार्थी कभी धन कमाने का साधन नहीं रही है। यह साधन रही है मनुष्य को मनुष्य बनाने  का। उसे सही गलत सिखाने का। उसमें मानवता का भाव जिंदा रखने का। अतः एक विद्यार्थी का उद्देश्य मनुष्य बनना होता है।


विद्या मनुष्य के अंदर जड़ता को समाप्त करती है। रूढियों से उसे उभारती है। जीवन के प्रति सजग और सकारात्मक बनाती है। लोगों के समक्ष उसे सम्मान से जीना सीखाती है। यह शिक्षा का महत्व है, जो हर बच्चे को इसी कारण से दी जाती है।

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