enth bechari dabe pao bhagi.
aashay spasht kijiye
नमस्कार मित्र,
इसका अर्थ है कि एक तिनके के कारण उसे इतनी परेशानी हुई कि उसकी ऐंठ यानी की अंहकार समाप्त हो गया। अर्थात पहले कवि अंहकार में आकर लोगों का अपमान करता था। परन्तु एक तिनके ने ही उसके अंहकार को चूर-चूरकर दिया।