es pat ka saramsh likiye
नमस्कार मित्र!
'दीवानों की हस्ती' पाठ में कवि ने ऐसे लोगों का वर्णन किया है, जो फक्कड़ और दीवाने किस्म के हैं। उनके लिए समाज के नीति-नियमों का कोई महत्व नहीं है। मनुष्य की सेवा करना वे अपना कर्तव्य समझते हैं और सबसे समान भाव से प्रेम करते हैं। वे अपने प्रयासों से समाज को प्रेम और आपसी सद्भावना का संदेश देते हैं। कवि के अनुसार लोग स्वयं को बेकार के बंधनों में उलझाकर रखते हैं। ऐसे लोग स्वहितों में अपना सारा जीवन व्यतीत कर देते हैं। दूसरों के सुखों को देखकर दुखी होना, कवि को सुहाता नहीं है। कवि इन सारी बुराइयों से दूर है। उसके लिए जीवन में किसी स्थान पर अधिक समय तक रूकना संभव नहीं है। वह स्वयं को सभी बंधनों से मुक्त रखना चाहता है। वह जहाँ भी जाता है, प्यार बाँटता हुआ जाता है। सबमें सुख देता हुआ जाना, उसे अच्छा लगता है। लोगों के स्वार्थी व्यवहार से उसे दुख भी होता है, परन्तु यह उसके लिए ज्यादा महत्व नहीं रखता है। कवि इस कविता के माध्यम से संदेश देता है कि हमें ऐसा जीवन जीना चाहिए, जिसमें सबका हित और सुख भी सम्मिलित हो।
ढेरों शुभकामनाएँ!