Eska Arth जल-जलकर बुझ गए, किसी दिन माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल। कलम, आज उनकी जय बोल। 2. पीकर जिनकी लाल शिखाएँ उगल रहीं लू-लपट दिशाएँ जिनके सिंहनाद से सहमी, धरती रही अभी तक डोल। कलम, आज उनकी जय बोल। Share with your friends Share 0 Piriyalgoyat answered this what do u want ask about this? 0 View Full Answer Sona Sharma 🖤 answered this Especially for you 0