Essay in 1000 words

मित्र
 हम आरंभ करके दे रहेेेेेेेेे हैं आपसे अनुरोध है कि आप इसे विस्तारपूर्वक लिखिए।

परिवर्तन संसार का  नियम है और  समय के साथ  परिवर्तन होना  बुद्धिमता है। पहले मानव तन नहीं ढकता था। धीरे-धीरे उसने वेश
-भूषा का प्रयोग शरीर ढ़कने के उद्देश्य से आरंभ किया। आज मानव इतना परिवर्तन हुआ कि वेश-भूषा की परिभाषा ही बदल गई। आज की स्थिति ऐसी हो गई है कि लोग फैशन के लिए इसका प्रयोग कर रहे हैं और समय के परिवर्तन के साथ अगर कोई स्वयं को न बदले तो समाज में उसकी प्रतिष्ठा नहीं बनती। स्वयं को समाज में प्रतिष्ठित करने के लिए लोग अपनी आर्थिक क्षमता से बाहर जाकर वेश-भूषा का चुनाव करते हैं। आज वेश-भूषा केवल व्यक्ति की ज़रुरत न होकर उसके व्यक्तित्व का एक अभिन्न अंग बन चुका है।  व्यक्ति केवल अपने आदर्शों पर अधिक दिन तक नहीं चलता उसे आदर्शों में परिवर्तन लाना ही पड़ता है। मनुष्य को अपने रूढ़ीवादी मानसिकता छोड़कर समाजवादी मानसिकता अपनानी पड़ी क्योंकि समय की यही मांग थी और परिवर्तन ही बुद्धिमता है।

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