essay on अहिंसा परम धर्म है
मानव सभ्यता धन और शक्ति के पीछे इतनी पागल है कि उसने चारों ओर हाहाकर मचा दिया है। हिंसा के माध्यम से वह अपनी शक्ति या बल दिखाता आया है। इस तरह वह अन्य मानवों को अपना गुलाम बनाता आया है। जब मानव सभ्यता का विस्तार होने लगा, तो मनुष्य जातियों व धर्मों में विभक्त होता चला गया। परिणाम हिंसा का आंतक चारों ओर तेज़ी से फैलने लगा। 'हिंसा' शांति और भाईचारे की शत्रु है। अशोक ने कलिंग जीतने के लिए बहुत बड़ा नरसंहार किया था। जब उसने उसका परिणाम देखा, तो उसकी आत्मा काँप उठी। हिंसा से कुछ लाभ नहीं होता। बुद्ध ने सर्वप्रथम हिंसा का विरोध किया । उनके अनुसार अहिंसा मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म है। क्षमा करना तथा हर प्राणी पर दया करना ही मनुष्य का कर्तव्य होना चाहिए। हिंसा से द्वेष तथा असंतोष का जन्म होता है। अहिंसा से प्रेम, दया तथा भाईचारा का उदय होता है। अशोक के हृदय को इस बात से शांति प्राप्त हुई। उसे ज्ञात हुआ की सत्ता के लालच में उसने जो रक्त बहाया है, वह जीवन का आधार नहीं है। वह इससे सुखी नहीं हो सकता। उसके बाद अशोक ने हिंसा छोड़कर अहिंसा का सहारा लिया। महात्मा गांधी ने भी अंग्रेज़ों को देश से बाहर निकालने के लिए अहिंसा को हथियार बनाया। यह हथियार इतना कारगर हुआ कि अंग्रेज़ वापस चले गए और हम आज़ाद हो गए।