Essay on cinema ka Yuva pidi ke naitik moolyo par prabhav

मित्र हम एक विषय पर दे रहे हैं बाकी आप स्वयं कीजिए-

सिनेमा लोगों पर सीधा प्रभाव डालता है। अतः युवाओं पर इसका प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है। यह चमक-दमक से भरी दुनिया है। यहाँ पर फैशन, मार-दाड़, प्रेम इत्यादि को मसाले के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। युवाओं पर इसका प्रभाव इतना गहरा होता है कि वे उसी की तरह हावभाव, कपड़े आदि अपनाने लगते हैं। किसी फिल्म में हीरो ने कैसी भी केशसज्जा की हुई हो, सभी युवा वैसे ही कैशसज्जा अपना लेते हैं। वे ये सोचते भी नहीं है कि उन पर वे कैसी लग रही होगी। बस उन्हें हीरो जैसा बनना होता है। युवतियाँ भी इसी प्रकार का करती है। समाज में पश्चिमी सभ्यता का चलन इसी के माध्यम से बड़ा है। इसमें परोसी जाने वाली हिंसा तथा अश्लीलता का युवा पीढ़ी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। वे पथभ्रष्ट हो रहे हैं। सिनेमा उन्हें आकर्षित करता है, हर कोई इस जगत में हाथ आजमाना चाहता है। इसके लिए वह कच्ची उम्र में ही घर छोड़कर भाग जाते हैं। हमारी संस्कृति और सभ्यता को ही इनसे नुकसान हो रहा है।

 

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