essay on durdarshan ki upyogita

नमस्कार मित्र!
हम आपको लिखकर दे रहे हैं, आप इस विषय पर स्वयं और विस्तार से लिखिए। इस तरह से लेखन कौशल में सुधार होगा।
दूरदर्शन हमारे जीवन का मुख्य अंग है। सर्वप्रथम टी.वी की दुनिया में भारत में दूरदर्शन का ही राज हुआ करता था। इसके कार्यक्रमों को देखने के लिए लोगों के अंदर उत्साह हुआ करता था। हम लोग, मालगुड़ी डेज़, शाम के समाचार, चित्रहार, चित्रमाला इत्यादि कार्यक्रम लोग बड़े उत्साह के साथ देखा करते थे। आज टी.वी. में जितने कार्यक्रम और चैनल देखने को मिलते है। वह उस समय नहीं मिला करते थे। लोगों के पास एकमात्र मनोरंजन का साधन दूरदर्शन हुआ करता था। धीरे-धीरे दूरदर्शन ने विकास करना आरंभ किया और महाभारत, रामायण, स्पाईडर जैसे कार्यक्रम दिखाकर उसने वाहवाही बटोरी लोगों का वह पसंदीदी चैनल बन गया। समय बदला और जी.टी.वी और सोनी जैसों चैनलों ने इसकी सत्ता पर से एकाधिकार छीन लिया परन्तु फिर भी वह उतनी प्रसिद्धी नहीं बटोर पाएँ, जितनी दूरदर्शन ने बटोरी थी। दूरदर्शन में दिखाए जाने वाले चैनल हर दृष्टि से अच्छे हुआ करते थे। वह समाज में व्याप्त बुराईयों का विरोध करते थे और संस्कृति को बढ़ावा देते थे। परन्तु यह बात आज के चैनलों में नहीं है। दूरदर्शन आज भी लोगों की पंसद रहा है।
 
ढेरों शुभकामनाएँ!

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