Essay on Rath Yatra in 500 words
 

मित्र,
हम आरंभ करके दे रहे हैं। आप से अनुरोध है कि आप इसे विस्तारपूर्वक लिखिए।

रथयात्रा

हिंदू मान्यता के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल द्वितीया में महाप्रभु जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र तथा बहन सुभद्रा के साथ भक्तों को दर्शन देते हैं।  रथ यात्रा पुरी, ओडिशा में बहुत ही धूमधाम से  निकाली जाती है। एक भव्य जुलूस होता है जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं।

त्योहार के दौरान विभिन्न समारोह होते हैं: प्रारंभिक समारोह को 'रथ प्रतिष्ठा' के रूप में जाना जाता है, फिर रथ को लोग खींचकर उनकी मौसी के घर से होते हुए गुंडिचा मंदिर तक ले जाते हैं। तीनों का अपना अलग-अलग रथ होता है। प्रत्येक रथ का अलग-अलग नाम होता है। उदाहरण के लिए, भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष कहा जाता है। भगवान बलभद्र के रथ को तलध्वज कहा जाता है। सुभद्रा के रथ को दर्पदलना कहते हैं। रथ यात्रा का समारोह पूरे 10 दिनों तक चलता है। 10 दिनों केेेे बाद भगवान जगन्नाथ वापस अपने मंदिर में आते हैं।

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