essay on rithu parivarthan ka jeevan par gahara

नमस्कार मित्र!
 
भारत ऋतुओं का देश है। हर ऋतु का अपना ही अलग महत्व है। इन ऋतुओं के साथ सभी बदलते मौसम का आनंद लेते हैं। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और बढ़ते प्रदूषण के चलते ऋतु में परिवर्तन आ रहे हैं। पृथ्वी का तापमान अधिक हो गया है।
 
मौसम में ऋतुओं पर भी असर देखने को मिल रहा है। गर्मी के मौसम में गर्मी अत्यधिक पड़ने लगी इसके कारण जन-जीवन पर असर पड़ने लगता है। दोपहर के समय घर से निकलना कठिन हो जाता है। लू इस तरह चलती है कि लोगों को अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ रहा है। यही स्थिति ठंडी के मौसम हैं। इतनी अधिक ठंड पड़ने लगी है कि मारे ठंड के जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। ठंड का असर इतना पड़ता है कि लोगों के लिए निकलना कठिन हो जाता है। इससे हवाई और रेलवे यात्राओं में विध्न पड़ता है। लोग ठंड के कारण मृत्यु को प्राप्त हो रहा है। बरसात के मौसम में अत्यधिक बरसात से बाढ़ की स्थिति बन जाती है और हज़ारों जानों-माल का नुकसान होता है।  बारिश के कारण बीमारियों मुँह फाडे खड़ी हो जाती है। डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनियाँ जैसी बीमारियाँ लोगों को अपना शिकार बना रही है। कहीं बारिश न होने की वजह से गाँव के गाँव सूखे की चपेट में आ जाते हैं। इससे हमारी अर्थव्यवस्था छिन्न-भिन्न हो रही है।
हमें चाहिए कि हम इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए अपनी आदतों को सुधारें व अपनी व्यर्थ की प्रगति पर लगाम लगाएँ। हर मनुष्य प्रगति करना चाहता है पर वो प्रगति किस काम की जो आगे चलकर हमारे लिए ही मौत का सामान तैयार करे। यह हमारे हित में तो है ही नहीं अपितु हमारे साथ रह रहे अन्य जीव-जंतु के हित में भी नहीं है। हमारा यह नैतिक कर्त्तव्य बनता है कि हम कर्त्तव्यों का निर्वाह करें। अपनी इस प्रकृति का व्यर्थ में दोहन न कर उसे एक सहचरी की तरह प्यार व सम्मान दें। हम जितना उसका सम्मान करेंगे वह भी हमें उतना सम्मान व प्यार देगी। तभी हमारा जन-जीवन सुचारू रूप से चल पाएगा।
 
ढेरों शुभकामनाएँ!
 

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