expanation of megh aaye from 3rd paragraph.

तीसरे पहरे में पीपल रूपी बूढ़े ने बादल रूपी दामाद का झुककर स्वागत किया। बहुत दिनों बाद हमारी सुध ली दरवाज़े की ओट से अकुलाई लता ने कहा। तालाब बादल रूपी दामाद को देखकर बहुत प्रसन्न है। वह परात में पानी भरकर ले आया है। भाव यह है कि बादलों के आने से हवा चल रही है। हवा के प्रभाव से पेड़ झुक जाते हैं ऐसा लगता है मानो बादलों का स्वागत कर रहे हों। लता हवा से हिल रही है ऐसा लगता है मानो शिकायत कर रही है। तालाब का पानी भी हवा से हिल रहा है मानो बादलों का पैर धोने के लिए पानी ला रहा हो। 

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