Expert please answer fast all the queries

प्रिय मित्र!
हम आपके प्रथम दो प्रश्नों के उत्तर दे रहे हैं अन्य प्रश्नों के लिए कृपया अलग से पोस्ट करें।
(I) कवि के विचार से वर्तमान मनुष्य शरीर मन और आत्मा से धन को ही  सर्वस्व समझता है और भ्रष्टाचार में लिप्त है वर्तमान मनुष्य के आदर्श सत्य ,अहिंसा, प्रेम नहीं बल्कि लोभ ,लालच और कमाना है अपने देश को भूलकर उसका मन विदेश में लगा हुआ है। उसके नेत्र धन वृत्ति के लिए व्याकुल हैं देशभक्ति मात्र एक विडंबना है ।

(II) कवि ने आत्मा की आवाजें सुनने को पागलपन कहा है। मनुष्य के आदर्शों में ऐसा परिवर्तन आया कि मनुष्य के आदर्श सत्य ,अहिंसा, प्रेम नहीं बल्कि लोभ ,लालच और कमाना हो गए हैं।


सादर।

  • 0
What are you looking for?