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प्रश्न 15- अनुच्छेद लेखन -

क- राष्ट्रीय एकता 
ख- विज्ञापन और हमारा जीवन 

मित्र!
हम एक बार में एक ही प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं। आपके प्रश्नों का उत्तर हमारे मित्रों ने भी दिया है। हम भी अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।

ख- विज्ञापन और हमारा जीवन।

किसी चीज़ का प्रचार करना विज्ञापन कहलाता है। विज्ञापन का उद्देश्य होता है कि विज्ञापन देखने वाला उस उत्पाद का प्रयोग करे। विज्ञापन कई प्रकार के होते हैं जैसे- उत्पाद प्रचार के लिए, सूचना देने के लिए, संस्थान का विज्ञापन, शादी का विज्ञापन इत्यादि। विज्ञापनों से हमें नई-नई सूचनाओं की जानकारी मिलती है। आज टीवी में विभिन्न प्रकार के विज्ञापन दिखाए जाते हैं। इनमें से कुछ प्रभावी तथा कुछ भ्रामक होते हैं। सबसे बड़ा खतरा भ्रामक विज्ञापनों से होता है, जिनका दुष्प्रभाव होता है। कई विज्ञापन तो ऐसे होते हैं, जो परिवार में देखने लायक नहीं होते। अपनी कंपनी का उत्पाद बेचने के लिए किसी भी तरह के हथकण्डे अपना सकते हैं। इनके भ्रम जाल में फंसकर युवावर्ग पर हानिकारक प्रभाव हो रहा है। व्यस्क प्रकार के विज्ञापन भी दिखाए जाते हैं, जो मजबूरन लोगों को अपने परिवार के साथ देखना पड़ता है। इन विज्ञापनों का मानक नियत करना चाहिए, जिससे साफ़-सुथरा विज्ञापन दिखाई दे।

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आजादी में अग्रणी भूमिका निभाने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिवस को सर्वप्रथम 2014 में भारत के केन्द्रीय सरकार द्वारा इस दिन को “राष्ट्रीय एकता दिवस” के रूप में मनाने का फैसला किया गया और इस दिन सभी लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के कार्यो को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते है
 

किसी भी देश की ताकत सभी भारतीय आपस उस देश की एकता में निहित होती है और यदि देश बड़ा और विभिन्न धर्म, भाषा के लोग रहने वाले हो तो उन्हें एकता की डोर में बाधकर रखना मुश्किल होता है लेकिन हमारे देश भारत की सबसे बड़ी यही खूबसूरती है की इतने धर्म, संप्रदाय, जाति के बावजूद आपस में मिलजुलकर रहते है और देश के एकता को बनाये रखे हुए है

हमारे देश भारत को आजादी मिलने के पश्चात हमारे देश में अनेक 500 से अधिक देशी रियासते थी जो की सबको आपस में मिलकर एक देश का गठन करना बहुत ही मुश्किल था, सभी रियासते अपनी सुविधानुसार अपना शासन चाहते थे लेकिन लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के सुझबुझ और इन रियासतों के प्रति अपनी स्पष्ट नीति के चलते इन्हें भारत देश में एकीकरण किया गया और इस प्रकार 3 देशी रियासते जूनागढ़, कश्मीर और हैदराबाद भारत में मिलने से मना कर दी जिसके पश्चात भारी विरोध के बाद जूनागढ़ का नवाब हिंदुस्तान छोडकर भाग गया, जिसके पश्चात जूनागढ़ भारत में मिल गया और कश्मीर के राजा हरीसिंह ने अपनी राज्य की सुरक्षा को आश्वासन लेकर कश्मीर को भी भारत में मिला दिया और अंत में हैदराबाद के निजाम ने जब भारत में मिलने से मना किया तो लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने तुरंत वहा सेना भेजकर निजाम को भी आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया जिसके पश्चात हमारे भारत देश का नवनिर्मित गठन हुआ जिसे संघ राज्यों का देश भी कहा जाता है और इस प्रकार अनेक होते हुए भी एक भारत का निर्माण हुआ

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 विज्ञापन का उद्देश्य – किसी वास्तु, विचार, कार्यक्रम देश के प्रचार-प्रसार के लिए जो साधन-सामग्री प्रयोग में लायी जाती है, उसे विज्ञापन कहते हैं | विज्ञापन का उद्देश्य सम्बन्धी  वस्तु या संदेश को दूर-दूर तक फैलाना होता है |

     विज्ञापनों के विविध प्रकार – विज्ञापनों के अनेक प्रकार होते हैं | सामाजिक विज्ञापनों के अंतर्गत दहेज, नशा, परिवार-नियोजन आदि संदेश आते हैं | विभिन्न कार्यक्रमों, रैलियों, आंदोलनों के विज्ञापन भी इसके अंतर्गत आते हैं | कुछ विज्ञापन विवाह, नौकरी, संपति की खरीद-बेच सम्बन्धी होते हैं | सबसे लोकप्रिय और लुभावने विज्ञापन होते हैं – व्यापारिक विज्ञापन | व्यापारी और औद्योगिक  अपने माल को दूर दूर तक बेचने के लिए अत्यंत आकर्षक विज्ञापनों का प्रयोग करते हैं |

     निर्णय को प्रभावित करने में विज्ञापनों को भूमिका – मनुष्य कौन-सा माल खरीदे-इसमें विज्ञापनों की भूमिका सबसे बड़ी होती है | कोई भी व्यक्ति दुकान पर खड़ा होकर विविध वस्तुओं में से प्रसिद्ध वस्तुओं को ही चुन पाता है | चाहे बाजार में कितने भी श्रेष्ठ साबुन उपलब्ध हों,  किन्तु ग्राहक उन्हीं को खरीदता है जिसका उनसे विज्ञापन सुना है | जब मनुष्य बहुत सारी  विविधताओं में फस जाता है तो विज्ञापन ही निर्णय करने में सहायक होते हैं | 

 विज्ञापनों का सामाजिक दायित्व – विज्ञापन प्रभावकारी होते हैं | इसलिए उनका सामाजिक दायित्व भी बहुत बड़ा होता है | प्राय: माल बेचने के लिए भ्रामक विज्ञापन दिए जाते हैं | गलत तथा दूषित माल बेचने के लिए भी आकर्षक सितारों का उपयोग किया जाता है | पीछे शाहरुख़ खान से कहा गया  कि वे कोका कोला या पेप्सी आदि हानिकारक पेयों का विज्ञापन न  करें | परन्तु उन्होंनें पैसे  के  लोभ में इसकी जिम्मेदारी सरकार पर डाल दी | वास्तव में विज्ञापन से जुड़े हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वे भ्रामक विज्ञापन न छापें | इससे समाज में गलत वस्तुओं और संदेशों का प्रचार होता है |

     निष्कर्ष – निष्कर्ष यह है कि विज्ञापनों में समाज की प्रभावित करने की अदभुत शक्ति है | ये सरकार, व्यापर तथा समाज के लिए वरदान हैं | परंतु गलत हाथों में पड़कर इसका दुरुपयोग भी हो सकता है | इस दुरुपयोग से बचा जाना चाहिए |

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