Experts please help me with 9th 1st question please answer acoording to 5 marks
9. आशय स्पष्ट कीजिए-
जब व्यावहारिकता का बखान होने लगाता है, तब 'प्रैक्टिकल आइडियालिस्टों' के जीवन से आदर्श धीरे-धीरे पीछे हटने लगते है और व्यावहारिक सूझ-बूझ ही आगे आने लगती है।
मित्र!
आपके प्रश्न के लिए हम अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।
प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट वे होते हैं जो अपनी बातों में आदर्शों को व्यावहारिकता के साथ पेश करते हैं। जब व्यावहारिकता की बातें हो रही होती हैं और आदर्श पीछे रह जाता है। तब व्यवहारिक सूझ-बूझ ही काम आती हैं क्योंकि ऐसी व्यवहारिकता अच्छी होती है जिसमें नफा-नुकसान नहीं तौला जाता। आदर्शों पर कभी भी व्यावहारिकता को उपर नहीं आने दिया जाता। इनमें ही समाज और मनुष्य की भलाई बसी हुई होती है। शुद्ध सोने में मजबूती लाने के लिए उसमें तांबा मिलाना पड़ता है, उसकी प्रकार अपने आदर्शों में व्यवहारिकता का समावेश करते हैं और व्यावहारिक सूझ-बूझ ही आगे आती है।
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प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट वे होते हैं जो अपनी बातों में आदर्शों को व्यावहारिकता के साथ पेश करते हैं। जब व्यावहारिकता की बातें हो रही होती हैं और आदर्श पीछे रह जाता है। तब व्यवहारिक सूझ-बूझ ही काम आती हैं क्योंकि ऐसी व्यवहारिकता अच्छी होती है जिसमें नफा-नुकसान नहीं तौला जाता। आदर्शों पर कभी भी व्यावहारिकता को उपर नहीं आने दिया जाता। इनमें ही समाज और मनुष्य की भलाई बसी हुई होती है। शुद्ध सोने में मजबूती लाने के लिए उसमें तांबा मिलाना पड़ता है, उसकी प्रकार अपने आदर्शों में व्यवहारिकता का समावेश करते हैं और व्यावहारिक सूझ-बूझ ही आगे आती है।