father bulke ko dekhna karuna ke nirmal jal main snan karne jaisa kyun tha aur unse baat karna karm ke sankalp se bharna kyun tha???

फादर बुल्के का स्वभाव ऐसा था कि लेखक ने ऐसी कल्पना की है। उनको देखकर ही मन में करुणा का भाव जागृत हो जाता था। ऐसा लगता था मानो निर्मल जल में स्नान कर रहे हों। उनकी बातें इतनी सकारात्मक होती थीं कि  उन्हें सुनने भर से ही मन में कर्म को करने का संकल्प भर जाता था।

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