Father tatha lekhak ke antarsambandhu ki pramukh bisheshtay lihkiye

मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है-
​​​​​​लेखक और फादर बुल्के के मध्य संबंध बहुत ही गहरे और मधुर थे। लेखक को जब भी उनकी आवश्यकता पड़ी, वे उनके साथ विद्यमान रहे। कभी बड़े भाई की तरह, तो कभी मित्र की तरह। उनकी याद को वह एकांत में उदास संगीत सुनने जैसा मानते हैं। इसे सुनकर मनुष्य का मन शांत हो जाता है।

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