fhaslon ke utpaadan mein mahilaoon ke yogdaan ko hamari aarthvyavastha mein mahatva kyo nahi diya jata hain
फसल से जुड़े उस हर छोटे-बड़े तत्वों के योगदान का उल्लेख करती है, जिसे हम कभी देखते भी नहीं है। कवि के अनुसार फसल को तैयार करने में किसी एक के योगदान को स्वीकार्य नहीं किया जा सकता है। वह बहुत तत्वों के आपसी सहयोग के कारण खड़ी होती है। उसका सबसे बड़ा योगदान मिट्टी का है, जो उसको अपने अलग-अलग गुण धर्मों से स्वरूप देती है। उस किसान का है जो उसमें बीज डालता है और उसे अपने कड़े परिश्रम से आकार देता है। उस नदी का है, जो उसे पनपने के लिए जल देती है। सूरज की किरणों का है, जो उसे ऊर्जा देता है और उस हवा का है, जो खड़ी फसल में थिरकन देता है। उसके अनुसार यह फसल मनुष्य और प्रकृति के आपसी योगदान का साक्ष्य है।