Geeta ke 5 shalok chahiye
हमारे मित्र ने अच्छा उत्तर दिया है। ये श्लोक भी आपकी सहायता करेंगे।
गुरूनह्त्वा हि महानुभावान्
श्रेयो भोक्तुं भैक्ष्यमपीह लोके।
हत्वार्थकामांस्तु गुरूनिहैव
भुज्जीय भोगान्रुधिरप्रदिग्धान्।।
यं हि न व्यथयन्त्येते पुरुषं पुरुषर्षभ।
समदुःखसुखं धीरं सोमृतत्वाय कल्पते।।