gram shree mai balu ke sap ganga ki satrangi ret mai ankit se kyo lag rahae hai

मित्र बालू अर्थात रेत पर आड़ी तिरछी बनी रेखाएँ लेखक को साँप के समान लग रही है। ये रेखाएँ दूर तक देखने में ऐसे लगती हैं मानो कोई साँप रेंग रहा हो। आप यदि बालू पर पड़ी रेखाएँ देखेंगे तो आपको भी ऐसा ही प्रतीत होगा।

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