gram sree chapter vyakha

summary of gramshree

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Kabi ke gaon ko harta jen man kyon kaha hai
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summary of gram shree

 
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ग्राम श्री कविता में कवि सुमित्रानंदन पंत जी ने गाँव के हरे भरे वातावरण का वर्णन करा है। वे कहते हैं कि जौ और गेंहूँ की बालियाँ निकलने पर धरती बहुत खुश नज़र आती है। अरहर और सनई के दाने धूप में सोने के समान चमकते हुए सुंदर लगते हैं। हवा चलने पर वे घुंघरू की तरह झनक उठते हैं। हवा के झोकों में हल्की तेल की खुशबू आती है जब पीले रंग की सरसों खिलती है। धरती पर हरियाली छाई होती है और उसमें से नीलम की कलि, तीसी नीली झाँक रही होती है।

     खेतों में फसल रात भर ओस से भीगती है। प्रातः काल जब सूर्य की किरणें उस पर पड़ती हैं तो वह ओस की बूँदें मोतियों के समान झिलमिला उठती हैं। उनको देखकर ऐसा लगता है जैसे उनके ऊपर किसी ने मरकत (पन्ना) का डिब्बा खोलकर उलट दिया है।

      गंगा की लहरों से उसके किनारे की बालू एक के ऊपर एक चढ़ कर सांप जैसी लगती है। उसपर सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो वह रंग बिरंगी दिखाई देती है। अर्थात गंगा का तट सुंदर और मनोहर लगता है।

वहाँ का मौसम सुहाना होता है, न अधिक गर्म और न अधिक ठंडा। इसलिए वहाँ सुख मिलता है

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Gaon ki kaunsi shobha gan man ko har rahi hai
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