grishmavkash mein kiye gaye kisi ek acche karya ke barre mein batate hue apne mitrako patr likhe 

नमस्कार मित्र!
 
6/7, लक्ष्मी नगर,
नई दिल्ली।
दिनांक: .................
 
प्रिय मित्र जावेद,
बहुत दिनों से तुम्हारी याद आ रही थी। आशा करता हूँ कि तुम अपने परिवार के साथ कुशलमंगल होगे। तुम्हें ग्रीष्मकालीन अवकाश में हुए अपने अनुभव के बारे में बताना चाहता था। मेरे पिताजी ने पर्वतीय क्षेत्र में भ्रमण करने का कार्यक्रम बनाया था। हम सपरिवार गाड़ी के द्वारा सुबह निकल पड़े। हमें निकले हुए चार घंटे ही बीते थे कि हाईवे पर हमने दुर्घटनाग्रस्त कार देखी। मैंने पिताजी को कार रोकने के लिए कहा। कार चालाक ने गाड़ी रोकने से मना कर दिया। परन्तु मैंने उसे आग्रह किया कि हम इस तरह किसी को छोड़कर नहीं जा सकते हैं। कार से उतरते ही हमने देखा कि कार मैं एक आदमी घायल अवस्था में पड़ा हुआ था। हमने पुलिस को सूचित किया और उन्हें उठाकर पास के एक अस्पताल ले गए। सही समय पर इलाज हो जाने के कारण उनको बचाया जा सका।पिताजी ने मेरे इस कार्य के लिए मेरी बहुत प्रंशासा की।
हमारी यात्रा स्थगित हो गई परन्तु हमें इस बात की प्रसन्नता थी कि हमारे कारण एक व्यक्ति की जान को बचाया जा सका। मित्र अब पत्र समाप्त करता हूँ। आशा करता हूँ कि तुम्हारे अवकाश बहुत अच्छे बीते होगें। पत्र अवश्य लिखना तुम्हारे पत्र की प्रतिक्षा रहेगी।
तुम्हारा मित्र,
कौशल
 
आशा करती हूँ कि आपको प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
 
ढेरों शुभकामनाएँ!

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