Hamare apki gharo ki ladkiyon ko shobha deta h yeh sab? Lekhika k pita ke mitra ka yeh vakya mahilaon k prati samaj k kuch logon ki kis soch ki or sanket karta hai?

मित्र

लेखिका के पिता के एक मित्र ने लेखिका के विषय में उनसे कहा कि उन्होंने लेखिका को अधिक आज़ादी दे रखी है जिसके कारण वह लड़कों के साथ मिलकर हड़तालें करवाती, हुड़दंग मचाती फिर रही है। यह उनके घरों की लड़कियों को शोभा नहीं देता है। यह उनकी दकियानूसी सोच और  विकृत मानसिकता का परिचायक है।

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