Hello experts can u tell me if this correct asap

प्रिय विद्यार्थी  ,

आपके लिखे हुए अनुच्छेद में कुछ गलतियाँ हैं , जिन्हें सुधारकर मैं नीचे लिख रहा हूँ ।  

अतिथि देवो भव
हिन्दू धर्म में अतिथि सत्कार सबसे श्रेष्ठ माना जाता है । भारत अपने उच्च अतिथि सत्कार के लिए भी जाना जाता है । घर आया अतिथि देवता के समान माना जाता है । कभी हम उन्हें बुलाते हैं , कभी वे हमें बताकर आते हैं अन्यथा वे बिना बताए ही आ जाते हैं । अतिथि के आने से पहले , घर को साफ किया जाता है । अतिथि के आने पर हमलोगों को कभी-कभी अपना कमरा और बिस्तर भी देना पड़ता है । जब हमारे दोस्त अथवा दादा-दादी आते हैं , तब हमें अच्छा लगता है , क्योंकि वे हमें प्यार करते हैं । और हमारे लिए कुछ लेकर अवश्य आते हैं । अगर हमारे माता-पिता के दोस्त आते हैं , तो हमें अपना तौर-तरीका सबकुछ बदलना पड़ता है । माना जाता है कि अगर कोई अतिथि या मेहमान घर से निराश होकर जाता है , तो वह उस गृहस्थ के समस्त पुण्य ले जाता है और अपना पाप वहीं छोड़ जाता है । तब उस घर में साँप और चूहों का प्रवेश होता है । इसलिए हमें हर अतिथि का खुशी से सत्कार करना चाहिए । माना कि कोई अतिथि अगर अधिक समय तक रहे , तो वह देवता से ज्यादा राक्षस जैसा लगता है । लेकिन हमें सबकुछ भूल कर अतिथि का अच्छा ख्याल रखना चाहिए । अतः अतिथि देवो भव ।

आभार ।  

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