Hindi...daayari ka ek panna
प्रिय मित्र ,
डायरी का एक पन्ना’ पाठ में २६ जनवरी १९३१ के दिन का वर्णन है। दिन निराला इसलिए था क्योंकि स्वतंत्रता दिवस मनाने की प्रथम आवृत्ति थी। पुलिस ने सभा करने को गैरकानूनी कहा था किंतु सुभाष बाबू के आह्वान पर पूरे कलकत्ता में अनेक संगठनों के माध्यम से जुलूस व सभाओं की जोशीली तैयारी थी। पूरा शहर झंडों से सजा था तथा कौंसिल ने मोनुमेंद के नीचे झंडा फहराने और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ने का सरकार को खुला चैलेंज दिया हुआ था। पुलिस भरपूर तैयारी के बाद भी कामयाब नहीं हो पाई।
लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर इस बात का संकेत देना चाहते थे कि मानो उन्हें स्वतंत्रता मिल गई हो।
डायरी का एक पन्ना’ पाठ में २६ जनवरी १९३१ के दिन का वर्णन है। दिन निराला इसलिए था क्योंकि स्वतंत्रता दिवस मनाने की प्रथम आवृत्ति थी। पुलिस ने सभा करने को गैरकानूनी कहा था किंतु सुभाष बाबू के आह्वान पर पूरे कलकत्ता में अनेक संगठनों के माध्यम से जुलूस व सभाओं की जोशीली तैयारी थी। पूरा शहर झंडों से सजा था तथा कौंसिल ने मोनुमेंद के नीचे झंडा फहराने और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ने का सरकार को खुला चैलेंज दिया हुआ था। पुलिस भरपूर तैयारी के बाद भी कामयाब नहीं हो पाई।
लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर इस बात का संकेत देना चाहते थे कि मानो उन्हें स्वतंत्रता मिल गई हो।