HINDI KARTUUS please explain briefly
मित्र कारतूस' नाटक हमें अपने देश के जाबांज और सूरमाओं की याद दिलाती है। इसके लेखक हबीब तनवीर हैं। कहीं-न-कहीं हम इन्हें भूल चूके हैं। हमारे देश की मिट्टी से जन्मे हज़ारों सूरमाओं ने अपने पराक्रम से अंग्रेज़ों को कहने पर विवश कर दिया था कि यह देश वीरों का देश है। अंग्रेज़ों ने भारत में प्रवेश किया था, तब वे एक व्यापारी थे। इन्होंने धोखे से हमारे देश पर कब्जा कर लिया। लोगों को जब तक होश आया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अनेकों वीरों ने देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए प्रयास आरंभ किए। उन्होंने अपने साहस और पराक्रम से अंग्रेज़ों की गहरी हो चुकी नींव को हिलाकर रख दिया था। इन्हीं वीरों में से एक वीर था, लखनऊ का नवाब वज़ीर अली। उसने अग्रेज़ों के आगे घुटने टेकने से अच्छा, उनके साथ लड़ना ज्यादा बेहतर समझा। उसे गुलामी की सोने से बनी बेड़ियों से अधिक जंगलों में आज़ादी की खुली हवा अधिक प्यारी लगी। उसे पकड़ने के लिए अंग्रेज़ी सरकार जाल बुन रही थी। वे जंगलों में उसे पकड़ने के उद्देश्य से खेमा गाड़े खड़ी थी। वज़ीर अली एक निडर व्यक्ति था। वह बिना डरे कर्नल के खेमे में जा पहुँचा और उसकी नाक के नीचे से कारतूस लेकर चला गया। उसके साहस से हैरान कर्नल को भी उसके साहस की प्रशंसा करने पर विवश होना पड़ा था।