hindi speech on ''matribhasha se bhi vikaas sambhav hai'' in about 700 words. its urgent
मित्र!
सात सौ शब्द का निबंध नहीं दिया जा सकता है। आपकी सहायता हेतु 300 शब्दों में लिखकर दिया जा रहा है। इसे स्वयं विस्तारपूर्वक लिखिए। यह आपके अभ्यास के लिए आवश्यक है।
सात सौ शब्द का निबंध नहीं दिया जा सकता है। आपकी सहायता हेतु 300 शब्दों में लिखकर दिया जा रहा है। इसे स्वयं विस्तारपूर्वक लिखिए। यह आपके अभ्यास के लिए आवश्यक है।
भारत में लोगों ने यह धारणा बना ली है कि हिन्दी के माध्यम से विकास संभव नहीं है। इस सोच का आधार आज़ादी से पहले के भारत में मिलता है। जहाँ भारतीयों ने यह मान लिया था कि अंग्रेज़ ही इस संसार में सर्वेश्रेष्ठ हैं। अतः हम विकास चाहते हैं, तो अंग्रेज़ी को अपना पड़ेगा। अंग्रेज़ चले गए हमारी मानसिकता में यह बात छोड़ गए।
आज पूरे भारत में अंग्रेज़ी को इसलिए अपनाया जा रहा है कि लोग समझते हैं कि इसी के माध्यम से विकास संभव है। हम ध्यान दे तो देखेंगे कि चीन, जापान जैसे देशों में अंग्रेज़ी भाषा नहीं अपनाई गई है। वहाँ के लोग अपनी भाषा में ही कार्य करते हैं। यदि उनकी प्रगति का ग्राफ देखें तो पाएँगे जितनी तेज़ी से उन्होंने विकास किया है, शायद ही किसी और देश ने किया हो।
फिर यह धारणा अपने आप गलत सिद्ध हो जाती है कि अंग्रेज़ी से विकास संभव है। हम लोग यदि चीन तथा जापान की तरह निश्चय कर लें तो अपनी मातृभाषा के माध्यम से विकास कर सकते हैं। इस प्रकार हम अपने देश के हर नागरिक से संपर्क कर पाएँगे। उन्हें ज्ञानवान बना सकेंगे और तकनीकी ज्ञान से उनका परिचय अपनी मातृभाषा में ही करवा सकेंगे।
भारत तरक्की नहीं कर पा रहा है क्योंकि यहाँ कि 80 प्रतिशत आबादी हिन्दी तथा अपनी भाषाएँ जानती हैं। हमारा प्रयास रहता है कि वे अंग्रेज़ी के माध्यम से शिक्षा ग्रहण करें। यह देश के हर स्थान पर संभव नहीं हो सकता है। यदि हम प्रयास करें और हर विषय की पुस्तकें अपनी मातृभाषा में रखें तो हम गाँव-गाँव में जाकर तकनीक तथा आधुनिकता का प्रसार कर सकेंगे। इससे हमारा देश शिक्षित के साथ-साथ अाधुनिकता की तरफ बढ़ेगा। जो विकास फिर होगा, वो शायद अभी तक नहीं हुआ होगा।