बस - यात्रा के समय घटित घटना का वर्णन करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए |
पता............
दिनाँक..........
मेरे प्यारे मित्र,
बहुत प्यार।
तुम्हारा पत्र मिला तुम्हारे पत्र से मुझे ज्ञात हुआ कि तुम हमारे साथ हुई बस दुर्घटना से घबरा गए हो। भाई घबराने की बात नहीं है हम सब भली प्रकार से हैं। परन्तु यह सत्य है कि यदि इस दुर्घटना में बस चालक होशियारी नहीं दिखाता तो यह बहुत भयानक हो सकती थी। हम लोग रात की बस में सफर कर रहे थे। अचानक तेज़ बारिश और आँधी शुरू हो गई रास्ता चूंकि पानी से भर गया था। अतः बस चालक ने बस को खड़े रखना उचित समझा। धीरे-धीरे आँधी और तेज़ हो गई रास्ते पर पेड़ टूटकर गिरने लगे। बिजली कड़क रही थी तभी हमारी बस जिस पेड़ के नीचे खड़ी थी उसके चटकने की आवाज़ आई। हम सबको यकीन हो गया कि किसी भी क्षण पेड़ टूट सकता है। हम सोच ही रहे थे कि बाहर जाएँ या न जाएँ। चालक ने तुरंत बस चला दी और उसी समय पेड़ भी टूट पड़ा। बस के पीछे वाले हिस्से पर पेड़ टूट कर गिरा। वो तो अच्छा था कि पेड़ का जो हिस्सा बस पर गिरा वह कमज़ोर था। नहीं तो कुछ भी हो सकता था।
चालक की समझदारी ने हमारे प्राणों की रक्षा की। हमने उसका बहुत धन्यवाद किया। तुम हमारी चिंता मत करना अब सब सही है।
तुम्हारा मित्र,
मनोज
दिनाँक..........
मेरे प्यारे मित्र,
बहुत प्यार।
तुम्हारा पत्र मिला तुम्हारे पत्र से मुझे ज्ञात हुआ कि तुम हमारे साथ हुई बस दुर्घटना से घबरा गए हो। भाई घबराने की बात नहीं है हम सब भली प्रकार से हैं। परन्तु यह सत्य है कि यदि इस दुर्घटना में बस चालक होशियारी नहीं दिखाता तो यह बहुत भयानक हो सकती थी। हम लोग रात की बस में सफर कर रहे थे। अचानक तेज़ बारिश और आँधी शुरू हो गई रास्ता चूंकि पानी से भर गया था। अतः बस चालक ने बस को खड़े रखना उचित समझा। धीरे-धीरे आँधी और तेज़ हो गई रास्ते पर पेड़ टूटकर गिरने लगे। बिजली कड़क रही थी तभी हमारी बस जिस पेड़ के नीचे खड़ी थी उसके चटकने की आवाज़ आई। हम सबको यकीन हो गया कि किसी भी क्षण पेड़ टूट सकता है। हम सोच ही रहे थे कि बाहर जाएँ या न जाएँ। चालक ने तुरंत बस चला दी और उसी समय पेड़ भी टूट पड़ा। बस के पीछे वाले हिस्से पर पेड़ टूट कर गिरा। वो तो अच्छा था कि पेड़ का जो हिस्सा बस पर गिरा वह कमज़ोर था। नहीं तो कुछ भी हो सकता था।
चालक की समझदारी ने हमारे प्राणों की रक्षा की। हमने उसका बहुत धन्यवाद किया। तुम हमारी चिंता मत करना अब सब सही है।
तुम्हारा मित्र,
मनोज