वास्तव में नेताजी का चश्मा एक आशावादी कहानी है।
आशावादी प्रवृति मनुष्य को किसी सार्थकता तक ले जाता है।
मनुष्य में फैली निराशा को समाप्त कर एक उम्मीद की किरण को जन्म देता है।
उपर्युक्त कथा में हालदार साहब समाज में निराशावादी प्रवृति के खिलाफ उम्मीद की एक किरण हैं। बच्चों द्वारा नेताजी के चश्मे को बार- बार निकाले जाने के पाश्चात भी रोज उनके द्वारा चश्मे का बदला जाना समाज में उम्मीद की टिमटिमाती लौ को और प्रज्ज्वलित करता है, साथ ही देशप्रेम की भावना को ज्वलन्त बनाता है।
इस प्रकार यह स्वयं सिद्ध होता है कि "नेताजी का चश्मा" एक आशावादी कहानी है।