लेखक यशपाल के ज्ञानचक्षु किन बातों को सोचकर खुल गए

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नवाब साहब ने खीरे को धोने के बाद काटकर उसे बाहर फेंक दिया और एक लम्बी डकार मारी जैसे उनका पेट भर गया हो। इसी बात से लेखक के ज्ञानचक्षु खुल गए कि जब बिना खाए केवल सुगंध से ही पेट भर जाता है और पेट भरने की डकार से तृप्ति का अनुभव होता है, तो लेखक बिना सोचे समझे, बिना किरदार के, केवल अपनी इच्छा से नई कहानी क्यों नहीं लिख सकता।  
 

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