किन बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन संपन्नता से भरा था और किन बातों से ज्ञात होता है कि वह सुखी नहीं था ?

माधवदास अपने लिए संगमरमर की एक नई कोठी बनवाते हैं। चिड़िया को धन का, सोने का घर बनवाने तथा मोतियों की झालर लटकाने का प्रलोभन देता है। वो चिड़िया से कहता है - ''मेरे पास क्या नहीं है। जो माँगो मैं वही दे सकता हूँ।'' माधवदास जी की इन बातों से ज्ञात होता है कि वे कितने धनी-संपन्न थे।

वहीं दूसरी ओर ऐसा भी लगता है कि धन-संपन्न होने के बावजूद भी वे सुखी नहीं है। ख्याल-ही-ख्याल में वे संध्या को स्वप्न की भाँति गुज़ार देते हैं। वे चिड़िया से कहते हैं-''मेरा दिल वीरान है। वहाँ कब हँसी सुनने को मिलती है?'' इससे यह स्पष्ट है कि वे सुखी नहीं थे।

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