सोचकर लिखिए कि यदि सारी सुविधाएँ देकर एक कमरे में आपको सारे दिन बंद रहने को कहा जाए तो क्या आप स्वीकार करेंगे ? आपको अधिक प्रिय क्या होगा -' स्वाधीनता ' या ' प्रलोभनोंवाली पराधीनता '? ऐसा क्यों कहा जाता है कि पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख नहीं मिल पाता। नीचे दिए गए कारणों को पढ़ें और विचार करें -

( ) क्योंकि किसी को पराधीन बनाने की इच्छा रखनेवाला व्यक्ति स्वयं दुखी होता है , वह किसी को सुखी नहीं कर सकता।

( ) क्योंकि पराधीन व्यक्ति सुख के सपने देखना ही नहीं चाहता।

( ) क्योंकि पराधीन व्यक्ति को सुख के सपने देखने का भी अवसर नहीं मिलता।

सभी सुख-सुविधाओं के बाद भी हमेपराधीनता स्वीकार नहीं है। स्वाधीनता उस पराधीनता से भी अधिक प्रिय लगती है जिसमें कि अनेक प्रलोभन हो। जीवन में स्वतंत्र रहने का अपना अलग ही महत्व है। सभी सुख सुविधाएँ मिलकर भी इसके मूल्य को कम नहीं कर सकती हैं।

यह सही है कि पराधीन व्यक्ति को स्वप्न में भी सुख नहीं मिल पाता है क्योंकि पराधीन व्यक्ति दूसरों के अधीन होता है और सुख से दूर-दूर तक वंचित रहता है। सुख का एहसास उसके लिए दुर्लभ होता है।

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