कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन - किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है ?
कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को निम्नलिखित बिंबो के माध्यम से व्यक्त किया है -
(1) बच्चे की मुसकान इतनी सुंदर है कि मृतक में भी जान डाल दे।
"मृतक में भी डाल देगा जान।"
(2) कवि ने बालक के मुसकान की तुलना कमल के पुष्प से की है। जो कि तालाब में न खिलकर कवि की झोंपड़ी में खिल रहे हैं।
"छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल रहे जलजात।"
(3) बच्चे की मुसकान से प्रभावित होकर पाषाण (पत्थर) भी पिघलकर जल बन जाएगा।
"पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण।"
(4) कवि बच्चे की मुसकान की तुलना शेफालिका के फूल से करता है।
"झरने लग पड़े शेफालिका के फूल।"