"लगता था ज़िंदगी इसी बस में गुजरानी है और इससे सीधे उस लोक को 'प्रयाण' कर जाना है। इस पृथ्वी पर उसकी कोई मंज़िल नहीं है। हमारी बेतबी तनाव ख़त्म हो गये। हम बड़े इत्मिनान से घर की तरफ़ बैठ गये। चिंता जाती रही। हँसी मज़ाक़ चालों हो गया।"
क) लेखक निराश क्यू थे
ख) बाद में उनकी चिंता ख़त्म क्यू हो गयी
मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है-
1. उन्हें चिंता थी कि कहीं दुर्घटना का शिकार न हो जाए। अतः वे निराश थे।
2. जब लेखक ने इस बात को स्वीकार कर लिया था कि अब कुछ नहीं किया जा सकता है। इसी बस में उनको सफर करना है, तो उसकी चिंता जाती रही।
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है-
1. उन्हें चिंता थी कि कहीं दुर्घटना का शिकार न हो जाए। अतः वे निराश थे।
2. जब लेखक ने इस बात को स्वीकार कर लिया था कि अब कुछ नहीं किया जा सकता है। इसी बस में उनको सफर करना है, तो उसकी चिंता जाती रही।