झानसी की रानी में एक प्रतिबाधित लिखिए ।। जल्दी जल्दी 

मित्र झांसी की रानी कानपुर के नाना साहब की मुँहबोली बहन थीं। बचपन में सब उन्हें छबीली के नाम से बुलाया करते थे। साधारण बच्चों की तरह खिलौने से खेलना उन्हें नहीं भाता था। उनके खेल-खिलौने और पसंद भी उन्हीं की तरह असाधारण थे। बरछीढ़ालकृपाल और कटारी यह सभी उनके प्रिय खिलौने थे। शिवाजी की वीर गाथाएँ सुनना उन्हें अत्यंत प्रिय था। इसी प्रकार वो बड़ी हुई। बड़े होने के बाद उनका विवाह झाँसी के राजा गंगाधर राव नेवालकर से हुआ। कुछ वर्ष पश्चात रानी ने एक बालक को जन्म दिया; परंतु कुछ समय बाद ही उस बालक की मृत्यु हो गई। ऐसी परिस्थिति में राजमहल में दुःख का वातावरण फैल गया। राजा बीमार रहने लगे। सब की सलाह मानकर रानी लक्ष्मीबाई ने राज्य के उत्तराधिकारी के तौर पर एक बालक को गोद लिया। परंतु अंग्रेज़ों ने उनका विरोध किया और अंग्रेज़ी शासन के नियम के अनुसार गोद लिए हुए पुत्र को राज्याधिकार से वंचित कर दिया। धीरे-धीरे रानी ने अपनी एक क्रान्तिकारी सेना का गठन किया और अंग्रेज़ों से युद्ध किया। वीरता पूर्वक लड़ते-लड़ते उन्हें वीरगति प्राप्त हुई। मर कर भी वो हम सब भारत वासियों को देश के लिए जीने की प्रेरणा दे गईं। सम्पूर्ण भारत उनके इस बलिदान का सदा आभारी रहेगा।

  • 0
What are you looking for?