चल चित्रों के गुण दोषों की चर्चा करते हुए मित्र को पत्र लिखिए

मित्र​!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है-
 
पता ..........
दिनाँक ...........

प्यारे मित्र,
सागर!
मैं यहाँ भगवान की कृपा से कुशलमंगल हूँ। आशा करता हूँ कि तुम भी कुशलमंगल होंगे। तुम्हारी माताजी से पता चलता कि तुम और तुम्हारे मित्र फ़िल्म देखने में लगे रहते हैं। यह उचित नहीं है। कभी कभार फिल्म देखना उचित होता है। तुम हर समय मित्रों के साथ फिल्म देखते रहो, यह उचित नहीं है। इससे तुम्हारी पढ़ाई प्रभावित होगी और तुम  पिछड़ जाओगे। अभी तक तुम हमारे विद्यालय के लिए सबसे प्रतिभाशाली विद्यार्थी रहे हो मगर ऐसे ही चलता रहा, तो तुम अपनी प्रतिभा को फिल्म देखने की लत में झौंक दोगे। समाज में पश्चिमी सभ्यता का चलन और उसका अनुसरण इन्हीं के माध्यम से बढ़ा है। इसमें परोसी जाने वाली हिंसा तथा अश्लीलता का युवा पीढ़ी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। वे पथभ्रष्ट हो रहे हैं। सिनेमा उन्हें आकर्षित करता है, हर कोई इस जगत में हाथ आजमाना चाहता है। इसके लिए वह कच्ची उम्र में ही घर छोड़कर भाग जाते हैं। इससे हमारी संस्कृति और सभ्यता को ही इनसे नुकसान हो रहा है। 
 
आशा करता हूँ कि तुम मेरी बात मनोगे और इस आदत से मुक्त होने का प्रयास करोगे। अब पत्र समाप्त करता हूँ। ​सबको मेरा प्रणाम कहना। 

तुम्हारा मित्र
नवीन गोयल  

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