- ‘ऐकै अषिर पीव का पढै सु पंडित होइ’- इस पंक्ति का आप क्या अर्थ समझते हैं? प्रेम का एक अक्षर सभी ग्रंथों से किस प्रकार भारी है? अपने जीवन के एक अनुभव के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
 

मित्र

कबीरदास जी कहते हैं कि समस्त संसार के लोग पोथी पढ़-पढ़ कर मर गए परन्तु विद्वान नहीं बन पाए। ज्ञान ग्रन्थों की बड़ी-बड़ी पुस्तकों से प्राप्त नहीं होता है बल्कि प्रेम से प्राप्त होता है। जिस मनुष्य ने प्रेम का एक अक्षर भी पढ़ लिया हो वही सच्चा ज्ञानी है। अर्थात्‌ जिसने प्रेम का वास्तविक रूप जान लिया हो, वही सच्चा ज्ञानी है। जैसेे एक बार मेरेेे दादाजी जो अधिक पढ़े लिखेे नहीं हैं, ने रिश्तेदारों केे आपसी झगड़ेे को प्रेम से बैठकर निपटा दिया था। यदि यह झगड़ा आगे बढ़ जाता तो न्यायालय तक जा सकता था।

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