कवि ने कविता ‘दीवानों की हस्ती’ में जीवन के प्रति कौन–सा दृष्टिकोण दर्शाया  है ?

मित्र 'दीवानों की हस्ती' पाठ में कवि भगवतीचरण वर्मा ने ऐसे लोगों का वर्णन किया है, जो फक्कड़ और दीवाने किस्म के हैं। उनके लिए समाज के नीति-नियमों का कोई महत्व नहीं है। मनुष्य की सेवा करना वे अपना कर्तव्य समझते हैं और सबसे समान भाव से प्रेम और व्यवहार करते हैं। कवि  का दृष्टिकोण है कि दीवाने स्वयं को बंधनों में उलझाकर रखते हैं। ऐसे लोग स्वहितों में अपना सारा जीवन व्यतीत कर देते हैं। दूसरों के सुखों को देखकर दुखी होना, कवि को सुहाता नहीं है। कवि इन सारी बुराइयों से दूर है। उसके लिए जीवन में किसी स्थान पर अधिक समय तक रूकना संभव नहीं है। वह स्वयं को सभी बंधनों से मुक्त रखना चाहता है। वह जहाँ भी जाता है, प्यार बाँटता हुआ जाता है। 

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