चरित्र निर्माण के बिना शिक्षा अधूरी

प्रिय मित्र !
  ऐसे प्रश्न स्वरचनात्मक कौशल को बढ़ावा देने के लिए  किए जाते हैं । इन्हें अपने आप से लिखने की कोशिश करनी चाहिए। हम आपकी  सहायता के लिए अपने कुछ विचार दे रहे हैं जिनके माध्यम से आप अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं-

  चरित्र निर्माण के बिना शिक्षा अधूरी


 चरित्र निर्माण की बातें, आज परिवारों में उपेक्षित हैं, शैक्षणिक संस्थानों में नादारद हैं, समाज में लुप्तप्रायः है। शायद ही इसको लेकर कहीं कभी गंभीर चर्चा होती हो। जबकि घर-परिवार एवं शिक्षा के साथ व्यक्ति निर्माण, समाज निर्माण और राष्ट्र निर्माण का जो रिश्ता जोड़ा जाता है, वह चरित्र निर्माण की धुरी पर ही टिका हुआ है।  शिक्षा मनुष्यों को सभ्य बनाती है और उनके चरित्र को निखारती है। छात्रों को शिक्षा देने के साथ हीं उनका चरित्र निर्माण भी जरूरी है। क्योकि चरित्र निर्माण के बिना शिक्षा का कोई महत्व नहीं है । यदि मनुष्य शिक्षा ग्रहण करने के बावजूद भी अपना चरित्र अच्छा नहीं बना पाता है तो उस शिक्षा का कोई अर्थ नहीं रह जाता है। चरित्र निर्माण के बिना शिक्षा सदैव अधूरी रहती है क्योंकि चरित्र निर्माण के माध्यम से ही व्यक्ति समाज व देश और दुनिया के अन्य लोगों का आदर करता है और आदर पाता है। सिर्फ पुस्तकीय ज्ञान ही जीवन के मूल्यों को नहीं बता सकता। इसलिए आवश्यकता है कि बच्चे चरित्रवान और देशभक्त बने।

सादर।

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