जोग ठगौरी ब्रज न बिकैहै।यह ब्योपार तिहारो ऊधौ, ऐसोई फिरि जैहै॥
यह जापे लै आये हौ मधुकर, ताके उर न समैहै।
दाख छांडि कैं कटुक निबौरी को अपने मुख खैहै॥
रस भेद 

प्रिय मित्र ,
आपका उत्तर इस प्रकार है-

श्रृंगार रस

सादर I

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