हरिहर काका पाठ संसार के किस कटु सत्य को दर्शाता है ?
प्रिय विद्यार्थी ,
हरिहर काका कहानी ग्रामीण जीवन के यथार्थ को समाज के समक्ष बेनकाब करती है। जिन लोगों का मत है कि गाँवों की अपेक्षा शहरों के जीवन में स्वार्थलोलुपता ज्यादा विद्यमान है, यह कहानी उनके मुँह पर ताला लगा देती है। आज बात चाहे गाँव की हो या शहरों की, आपसी रिश्तों में प्रेम के स्थान पर लालच का बढ़ना रिश्तों के खोखलेपन को दिखा रहा है। समाज में प्रेम समाप्त हो रहा है। पैसे का पर्दा लोगों की आँखों में चढ़ने लगा है। रिश्तों को पैसों से तोला जा रहा है। जहाँ पैसा है, वहाँ सब सगे संबंधी हैं और जहाँ गरीबी है, वहाँ लोग फटकना भी पसंद नहीं करते हैं। यह स्थिति हमारे लिए दुख की बात है। हरिहर काका की आवश्यकता तब तक है, जब तक उनके पास जमीन है। उनकी जमीन के लिए ही भाई तथा महंत उनकी आवभगत करते हैं। जैसे ही हरिहर काका इस सत्य को जानने लगते हैं, वैसे ही भाई और महंत उनके शत्रु हो जाते हैं।
वर्तमान समाज में आज की पीढ़ी का कर्तव्य है कि वो अपने बुज़ुर्गों का आदर करे। उन्हें सम्मान दे तथा उनकी हर इच्छा को पूरा करें।
आभार ।
हरिहर काका कहानी ग्रामीण जीवन के यथार्थ को समाज के समक्ष बेनकाब करती है। जिन लोगों का मत है कि गाँवों की अपेक्षा शहरों के जीवन में स्वार्थलोलुपता ज्यादा विद्यमान है, यह कहानी उनके मुँह पर ताला लगा देती है। आज बात चाहे गाँव की हो या शहरों की, आपसी रिश्तों में प्रेम के स्थान पर लालच का बढ़ना रिश्तों के खोखलेपन को दिखा रहा है। समाज में प्रेम समाप्त हो रहा है। पैसे का पर्दा लोगों की आँखों में चढ़ने लगा है। रिश्तों को पैसों से तोला जा रहा है। जहाँ पैसा है, वहाँ सब सगे संबंधी हैं और जहाँ गरीबी है, वहाँ लोग फटकना भी पसंद नहीं करते हैं। यह स्थिति हमारे लिए दुख की बात है। हरिहर काका की आवश्यकता तब तक है, जब तक उनके पास जमीन है। उनकी जमीन के लिए ही भाई तथा महंत उनकी आवभगत करते हैं। जैसे ही हरिहर काका इस सत्य को जानने लगते हैं, वैसे ही भाई और महंत उनके शत्रु हो जाते हैं।
वर्तमान समाज में आज की पीढ़ी का कर्तव्य है कि वो अपने बुज़ुर्गों का आदर करे। उन्हें सम्मान दे तथा उनकी हर इच्छा को पूरा करें।
आभार ।