दीवानों की हस्ती कविता की किन पंक्तियों ने आपको सर्वाधिक प्रेरित किया है? कैसे? 

प्रिय विद्यार्थी,

हम भिखमंगों की दुनिया में,
स्वच्छंद लुटाकर प्यार चले,
हम एक निसानी – सी उर पर,
ले असफलता का भार चले।

इस कविता में ये पंक्तियाँ सर्वाधिक प्रिय लगीं क्योंकि इनमें स्वतंत्रता और खुशहाली के भावों को प्रेम के माध्यम से सब ओर फ़ैलाने की बात कही है। मस्तमौला और बेफ़िक्र व्यक्ति संसार को कुछ मीठी-प्यारी यादें और एहसास देकर, अपने सफ़र पर निकल पड़ते हैं। कवि लोग सांसारिक बंधनों में बंधे नहीं होते, इसीलिए वे  दुख और सुख, दोनों को एक समान रूप से स्वीकारते हैं। यही उनके हमेशा ख़ुश रहने की प्रमुख वजह है।


आभार। 

 

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