बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताए ( hindi)

 

उत्तर :-

अनुच्छेद - बिना विचारे जो करे सो पाछि पछताए 

हम जीवन में जो कार्य करते हैं उन्हें बहुत सोच-विचार कर करने चाहिए। बिना विचारे किया गया कार्य हमें किसी बड़ी मुसीबत में डाल देता है। प्रायः लोगों की आदत होती है कि वह कार्य को करने से पहले उसके अच्छे-बुरे पक्ष के बारे में सोचते नहीं है। बस कार्य को कर देते हैं। इससे बड़ी समस्या आन पड़ती है। उनके लिए वह जी का जंजाल बन जाती है।

हमारे बड़े तभी हमें सोचने के लिए कहते हैं। हर बात के अच्छे और बुरे पक्ष होते हैं। उन दोनों के अलग-अलग परिणाम हो सकते हैं। कुछ लोग भली-भांति हर समस्या पर विचार करते हैं। उसके बाद वे निर्णय लेते हैं कि इसमें हमें कितना आगे बढ़ना है। यदि इसके कुछ बुरे परिणाम हुए तो हमें उनसे कैसे बच सकते हैं। इस तरह से सोचकर वे आगे बढ़ते हैं और समय रहते समस्या से बच निकलते हैं।
इसके विपरीत यदि हम कार्य को करने से पहले सोचेंगे ही नहीं, तो हमारा फँसना निश्चित ही है। यदि दुर्योधन महाभारत के युद्ध की घोषणा से पहले भली प्रकार से विचार कर लेता, तो उसके वंश का सर्वनाश नहीं होता। पांडवों को पाँच गाँव देकर ही मुक्ति पा सकता था या फिर इस समस्या का दूसरा कोई हल निकाल सकता था। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। उसने समझौते के स्थान पर युद्ध को न्योता दिया। परिणाम इतना भयंकर निकला कि पूरा कुरुवंश ही समाप्त हो गया।
यह उसकी मूर्खता ही थी कि उसने युद्ध के परिणाम पहले नहीं सोचे। बस युद्ध में कूद पड़ा। उसे यह भ्रम था कि मेरे पास सबसे बड़े योद्धा हैं। यदि वह पांडवों की सेना की तरफ दृष्टि डालता तो उसे पता चला कि पांडव भी कम नहीं थी। इसी आधार पर हम कह सकते हैं कि हमें बिना विचार कोई काम नहीं करना चाहिए। वरना हमारी दशा भी ऐसी ही हो जाएगी।


इस आधार पर आप अपना अनुच्छेद लिख सकते हैं ।  

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