"हम पंछी उन्मुक्त गगन के" कविता में पक्षी का अरमान था की वह आसमान  की सीमा तक पहुँचता। आपका क्या अरमान था ? उसे कविता की  कुछ पंक्तियों में लिखिए और उसे उचित शीर्षक दीजिये ?
 

र– 
जिस प्रकार पक्षी का अरमान था कि वह आसमान की सीमा तक पहुंचे उसी प्रकार मेरा अरमान है कि अगर पंख दिए हैं तो इंसान को उड़ने दिया जाए उसे कहीं पर रोका ना जाए। इस पाठ में जब पक्षी को उड़ने से रोका जाता है तो मैं तो मेरा यह अरमान है कि पक्षी को उड़ने दिया जाए उसे बांधा ना जाए।

नीड़ न दो, चाहे टहनी का
आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो
लेकिन पंख दिए हैं तो
आकुल उड़ान में विघ्न न डालो ।

इन पंक्तियों द्वारा यह बात स्पष्ट की गई है कि पक्षी को पंख दिए हैं तो उन्हें उड़ने के लिए आसमान भी देना चाहिए ना कि उन्हें बांध कर रखना चाहिए।
इसका शीर्षक आजाद पक्षी यह होना चाहिए।
 

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