पाठ में शुक्रतारे के सामान से क्या अभिप्राय है ? तथा महादेव को शुक्रतारे के सामान क्यों कहा गया है ?

नमस्कार मित्र,

शुक्रतारे से अभिप्राय है, आसमान में चमकने वाला वह तारा जिसकी चमक लोगों को आकर्षित करती रहती है। परन्तु वह अधिक समय के लिए आकाश में दिखाई नहीं देता है। 

महादेव भाई को इसलिए शुक्रतारे के समान कहा गया है क्योंकि जब तक वह जीवित रहे अपनी प्रतिभा और गुणों से लोगों को प्रभावित करते रहे। उनकी योग्यता ने सभी को चमत्कृत किया हुआ था। परन्तु इनका साथ अधिक समय तक नहीं रहा। यह शुकतारे के समान कुछ देर के लिए आए और फिर उसी के समान कुछ समय बाद शांत हो गए।

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he is consedered as

शुक्रतारे bcuz he stayed 4 a lesser time and

did a very great job.... :)

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