आशय बताओ

'यह मरज़' आपका अच्छा ही नहीं होने में आता है।'

कवि यह कहना चाहता है कि चाँद को कोई बीमारी है जो कि अच्छा होता हुआ प्रतीत नहीं होता क्योंकि जब ये घटते हैं तो केवल घटते ही चले जाते हैं और जब बढ़ते हैं तो बिना रूके दिन प्रतिदिन निरन्तर बढ़ते ही चले जाते हैं। तब-तक, जब-तक ये पूरे गोल हो जाए। कवि की नज़र में ये सामान्य क्रिया नहीं है।

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