आशय स्पष्ट करो-

हाथ पकड़ फिर सदा हमारे

साथ नहीं फिरती दिन-रात!

प्रस्तुत पंक्तियों से कवि का आशय है कि जब हम बड़े हो जाते हैं तब बचपन की तरह वह सदा हमारे साथ-साथ नहीं रहती है? जिस प्रकार बचपन में माँ अपने बच्चों को हमेशा अपने साथ-साथ रखती है। बड़े हो जाने पर वह हमेशा हमें सम्भालने के लिए हमारे साथ-साथ नहीं रहती।

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