' इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा '- वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है ?

लेखिका के द्वारा कुब्जा मोरनी को लाना, इस घटना की ओर संकेत करता है। नीलकंठ, राधा अन्य सभी पशु-पक्षी साथ मिलकर बड़े ही आनन्द से उस बाड़े में रहते थे। परन्तु कुब्जा मोरनी ने उन सब के इस आनन्द में भंग कर दिया था। उसको किसी भी पशु-पक्षी का नीलकंठ के साथ रहना पसंद था। जो भी कोई उसके पास आना चाहता, वह उसे अपनी चोंच से घायल करके भगा देती थी। यहाँ तक कि उसने ईर्ष्या वश राधा के अंडों को तोड़-फोड़ दिया था। उसके इस स्वभाव के कारण नीलकंठ अकेला खिन्न रहने लगा। जैसे बाड़े की तो शोभा ही चली गई। तभी लेखिका कहती है, इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा।

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