नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से किस तरह बचाया ? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

एक दिन जब खरगोश के शावक साथ-खेल करते हुए उछलकूद कर रहे थे तो जाली के भीतर कहीं से एक साँप घुस आया। उसको देखकर सब पशु-पक्षी तो भाग गए पर सिर्फएक खरगोश का शावक भाग पाया और साँप उसे निगलने का प्रयास करने लगा। खरगोश का शावक उसकी कैद से छूटने के प्रयास में क्रंदन करने लगा। नीलकंठ ने जैसे ही उस क्रंदन को सुना वह पेड़ की शाखा से कूदकर साँप के समक्ष खड़ा हुआ और अपने पंजों से साँप के फन को दबाया और चोंच के प्रहार से दो ही पल में उसके दो टुकड़े कर दिए। इस तरह उसने शावक को साँप की पकड़ से बचा लिया।

(1) नीलकंठ स्वभाव से दयालु प्रवृति का पक्षी था। तभी तो खरगोश के बच्चे को लेकर सारी रात बैठकर उसको ऊष्मा देता रहा।

(2) नीलकंठ एक सजग सचेत मुखिया था। जिस तरह घर का एक मुखिया अपने कर्त्तव्यों के प्रति सचेत सजग रहता है। उसी तरह नीलकंठ अपने जालीघर के जीव-जंतुओं के लिए था।

(3) नीलकंठ एक साहसी मोर था। नीलकंठ के साहस के कारण ही उसने खरगोश को साँप से बचा लिया थाअगर वह साहस दिखाता तो खरगोश ना बच पाता।

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