काव्य - सौंदर्य स्पष्ट कीजिए -

या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा रौंगी।

इस छंद में गोपी अपनी दूसरी सखी से श्री कृष्ण की भाँति वेशभूषा धारण करने का आग्रह करती है। वह कहती है तू श्री कृष्ण की भाँति सिर पर मोर मुकुट व गले में गुंज की माला धारण कर, शरीर पर पीताम्बर वस्त्र पहन व हाथ में लाठी डाल कर मुझे दिखा ताकि मैं श्री कृष्ण के रूप का रसपान कर सकूँ। उसकी सखी उसके आग्रह पर सब करने को तैयार हो जाती है परन्तु श्री कृष्ण की मुरली को अपने होठों से लगाने को तैयार नहीं होती। उसके अनुसार उसको ये मुरली सौत की तरह प्रतीत होती है और वो अपनी सौत रुपी मुरली को अपने होठों से लगने नहीं देना चाहती।

यहाँ पर 'ल' वर्ण और 'म' वर्ण की एक से अधिक बार आवृत्ति हुई है इस कारण यहाँ अनुप्रास अलंकार है।छंद में सवैया छंद का प्रयोग हुआ है तथा ब्रज भाषा का सुंदर प्रयोग हुआ है जिससे छंद की छटा ही निराली हो जाती है। साथ में माधुर्य गुण का समावेश हुआ है।

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