मोह और प्रेम में अंतर होता है। भगत के जीवन की किस घटना के आधार पर इस कथन का सच सिद्ध करेंगे ?

भगत को अपने पुत्र तथा अपनी पुत्रवधू से अगाध प्रेम था। परन्तु उसके इस प्रेम ने प्रेम की सीमा को पार कर कभी मोह का रुप धारण नहीं किया। जब भगत के पुत्र की मृत्यु हो जाती है तो पुत्र मोह में पड़ कर वो रोते बिलखते नहीं हैं बल्कि पुत्र की आत्मा के परमात्मा से मिलने से खुश होते हैं। दूसरी तरफ़ वह चाहते तो मोह वश अपनी पुत्रवधू को अपने पास रोक सकते थे परन्तु उन्होंने अपनी पुत्रवधू को ज़बरदस्ती उसके भाई के साथ भेजकर उसके दूसरे विवाह का निर्णय किया। सच्चा प्रेम अपने सगे-सम्बन्धियों की खुशी में है। परन्तु मोह वश हम सामने वाले के सुख की अपेक्षा अपने सुख को प्रधानता देते हैं। बालगोबिन भगत ने भी सच्चे प्रेम का परिचय देकर अपने पुत्र और पुत्रवधू की खुशी को ही उचित माना।

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